हाई नेटवर्थ भारतीय भारत छोड़ रहे हैं: 6 वर्षों में 10 लाख से अधिक ने नागरिकता त्यागी

पिछले कुछ वर्षों में, भारत से उच्च निवल मूल्य (हाई नेटवर्थ) वाले व्यक्तियों (HNIs) का पलायन एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति बनकर उभरा है। सरकारी आंकड़ों और विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले 6 वर्षों में 10 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी भारतीय नागरिकता त्याग दी है। यह प्रवृत्ति न केवल आर्थिक अवसरों की तलाश को दर्शाती है, बल्कि सामाजिक, शैक्षिक और जीवनशैली से संबंधित कारकों को भी उजागर करती है। आइए, इस विषय पर विस्तार से जानते हैं।

मुख्य बिंदु:

  1. नागरिकता त्यागने की संख्या:
    • 2019 से 2024 तक, लगभग 10 लाख से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है।
    • 2024 में 2,06,378, 2023 में 2,16,219 और 2022 में 2,25,620 भारतीयों ने नागरिकता त्यागी।
    • 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण यह संख्या घटकर 85,256 थी, जो सबसे कम थी।
  2. हाई नेटवर्थ व्यक्तियों का पलायन:
    • हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में लगभग 6,500 उच्च निवल मूल्य वाले भारतीय (जिनकी संपत्ति $1 मिलियन या ₹8.2 करोड़ से अधिक है) भारत छोड़कर अन्य देशों में चले गए। यह संख्या वैश्विक स्तर पर चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी है।
    • 2019 में लगभग 7,000 धनी भारतीयों ने नागरिकता त्यागी थी।
    • ये व्यक्ति मुख्य रूप से अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और सिंगापुर जैसे देशों में जा रहे हैं।
  3. नागरिकता त्यागने के कारण:
    • आर्थिक अवसर: बेहतर नौकरी, व्यापार और निवेश के अवसरों की तलाश में लोग विकसित देशों की ओर पलायन कर रहे हैं।
    • शिक्षा और जीवनशैली: उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, और सुरक्षित वातावरण की चाहत। भारतीय छात्रों की संख्या विदेशों में पढ़ाई के लिए सबसे अधिक है (चीन के बाद)।
    • कर और विनियामक नीतियां: भारत में जटिल कर नियम और धन के विदेशी हस्तांतरण से संबंधित नियम धनी व्यक्तियों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं।
    • सामाजिक और राजनीतिक माहौल: कुछ लोग सामाजिक असहिष्णुता, कम होती लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और सुरक्षा चिंताओं का हवाला देकर देश छोड़ रहे हैं।
    • दोहरी नागरिकता की अनुपस्थिति: भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता, जिसके कारण विदेशी नागरिकता लेने के लिए भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है।
  4. लोकप्रिय गंतव्य:
    • संयुक्त राज्य अमेरिका (USA): सबसे अधिक भारतीय (3.2 लाख से अधिक 2018 से) अमेरिकी नागरिकता ले रहे हैं।
    • कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और यूके: इन देशों में क्रमशः 1.6 लाख, 1.3 लाख और 83,648 भारतीयों ने नागरिकता ली।
    • अन्य देश: सिंगापुर, न्यूजीलैंड, इटली, यूएई, और कैरेबियाई देश जैसे एंटीगुआ और बारबुडा भी लोकप्रिय हैं।
    • गोल्डन वीजा प्रोग्राम: ग्रीस, पुर्तगाल, और कैरेबियाई देशों के निवेश-आधारित नागरिकता कार्यक्रम धनी भारतीयों के बीच लोकप्रिय हैं।
  5. प्रक्रिया और नियम:
    • भारतीय नागरिकता त्यागने के लिए ऑनलाइन आवेदन www.indiancitizenshiponline.nic.in पर करना होता है।
    • आवेदन के बाद, दस्तावेजों की जांच और संबंधित विभागों से 30 दिनों के भीतर फीडबैक लिया जाता है। पूरी प्रक्रिया में लगभग 60 दिन लगते हैं।
    • नागरिकता त्यागने पर, आधार कार्ड, वोटर आईडी, और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे दस्तावेज भी सरेंडर करने पड़ते हैं।
    • भारत में ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड की सुविधा है, जो पूर्व भारतीय नागरिकों को भारत में रहने, काम करने और व्यवसाय करने की अनुमति देता है, लेकिन पूर्ण नागरिक अधिकार नहीं देता।
  6. प्रभाव और चिंताएँ:
    • आर्थिक प्रभाव: धनी व्यक्तियों के पलायन से राजस्व, धन सृजन और रोजगार के अवसरों पर असर पड़ता है।
    • वैश्विक छवि: भारत का पासपोर्ट हेनली पासपोर्ट इंडेक्स में 82वें स्थान पर है, जो केवल 58 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा की सुविधा देता है। इससे वैश्विक गतिशीलता की तलाश में लोग विदेशी पासपोर्ट चुन रहे हैं।
    • सामाजिक और राजनीतिक बहस: कुछ लोग इस प्रवृत्ति को आर्थिक विकास के दावों के विपरीत मानते हैं, जबकि सरकार इसे वैयक्तिक और वैश्विक अवसरों से जोड़ती है।

 

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