नई दिल्ली: संसद की संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति शुक्रवार को होने वाली बैठक में “सभी प्रकार के मीडिया से संबंधित कानूनों के कार्यान्वयन की समीक्षा” करने के लिए तैयार है, जिसमें मीडिया से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में “बढ़ते” पेड न्यूज, फेक न्यूज, कई टीवी समाचार चैनलों द्वारा सनसनीखेज खबरों पर ध्यान केंद्रित करने और डिजिटल बदलाव व घटती पाठक संख्या के कारण पारंपरिक समाचार पत्रों के सामने आ रही चुनौतियों जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
सूत्रों ने बताया कि समिति इस पर भी अपनी चिंता जता सकती है कि अपराध और सेलिब्रिटी से जुड़ी खबरों को जरूरत से ज्यादा कवरेज दी जाती है, जिससे महत्वपूर्ण और गंभीर खबरें हाशिए पर चली जाती हैं। कुछ चैनल टीआरपी की होड़ में सनसनीखेज पत्रकारिता की ओर बढ़ रहे हैं।
कई बार सनसनीखेज मामलों में मीडिया ट्रायल से जनता की राय प्रभावित होती है और इसका कानूनी प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है, जिसे समिति नजरअंदाज नहीं कर सकती। टीवी बहस के दौरान बहस का स्तर गिरने, गाली-गलौज और आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति बनने जैसे मुद्दे भी बैठक में उठ सकते हैं।
एक सूत्र ने बताया कि मीडिया मालिकों, पत्रकारों और राजनीतिक इकाइयों के बीच हितों के टकराव से खबरों की विश्वसनीयता प्रभावित होती है और मजबूत नियामक तंत्र की कमी के कारण कई बार नैतिक सीमाएं पार कर दी जाती हैं।
समिति की चिंता का एक अन्य प्रमुख विषय पत्रकारों और मीडिया संगठनों को झेलनी पड़ने वाली महंगी और लंबी कानूनी लड़ाइयां हो सकती हैं, जिससे खोजी पत्रकारिता को हतोत्साहित किया जाता है। क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं के मीडिया संगठनों को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है, और चुनावी समय में फेक न्यूज देश में “तबाही” मचा रही है।
समिति के ध्यान में यह मुद्दा भी आ सकता है कि सोशल मीडिया पर विदेशी बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों का नियंत्रण है, जिससे समाज, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक दलों और यहां तक कि देश को भी अपूरणीय क्षति हो सकती है, यदि इसे सही तरीके से नियंत्रित नहीं किया गया।
इस बैठक में सूचना और प्रसारण सचिव, प्रसार भारती के सीईओ, प्रेस रजिस्ट्रार जनरल और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सहित कई महत्वपूर्ण अधिकारी उपस्थित हो सकते हैं।
समिति मीडिया से जुड़े कानूनों और अन्य व्यवस्थाओं की यात्रा की भी समीक्षा कर सकती है, जिसकी शुरुआत 1867 के प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ बुक्स (PRB) अधिनियम से हुई थी, जिसे बाद में प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल, 2023 से बदल दिया गया।
इसके अलावा, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की कार्यप्रणाली पर भी चर्चा होने की संभावना है। यह एक सांविधिक अर्ध-न्यायिक संस्था है, जो प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अधिनियम, 1978 के तहत संचालित होती है।