गैर-धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के मामले बड़े क्या हो सकता है कारण

गैर-धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं, और इसमें वायु प्रदूषण की संभावित भूमिका हो सकती है। यह निष्कर्ष द लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन जर्नल में विश्व कैंसर दिवस पर प्रकाशित एक नई अध्ययन रिपोर्ट में सामने आया है।

अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, एडेनोकार्सिनोमा, जो उन ग्रंथियों में उत्पन्न होने वाला कैंसर है जो बलगम जैसी तरल पदार्थों का उत्पादन करती हैं, 2022 में ग्लोबल स्तर पर गैर-धूम्रपान करने वालों में 53-70 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर के मामलों के लिए जिम्मेदार था।

अन्य प्रकार के फेफड़ों के कैंसर की तुलना में, एडेनोकार्सिनोमा का सिगरेट पीने से बहुत ही कम संबंध पाया गया है। अध्ययन में उल्लेख किया गया कि दुनियाभर में धूम्रपान दर में गिरावट के साथ, गैर-धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के मामलों का अनुपात बढ़ रहा है।

यह कैंसर अब सभी लिंगों में सबसे आम प्रकार बन चुका है। 2022 में, अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में 9.08 लाख नए फेफड़ों के कैंसर के मामले सामने आए, जिनमें 59.7% एडेनोकार्सिनोमा थे।

इसके अलावा, 80,378 मामलों का संबंध पार्टिकुलेट मैटर (PM) वायु प्रदूषण से पाया गया।

अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (IARC) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के विशेषज्ञों ने इस अध्ययन का नेतृत्व किया।

शोधकर्ताओं ने ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 और अन्य स्रोतों से आंकड़ों का विश्लेषण कर फेफड़ों के कैंसर को चार उपप्रकारों में वर्गीकृत किया:

एडेनोकार्सिनोमा

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा

स्मॉल-सेल कार्सिनोमा

लार्ज-सेल कार्सिनोमा

2019 तक, लगभग पूरी वैश्विक आबादी WHO के वायु गुणवत्ता मानकों से नीचे रहने वाले क्षेत्रों में निवास कर रही थी।

अध्ययन के प्रमुख लेखक, फ्रेडी ब्रे, जो IARC के कैंसर निगरानी विभाग के प्रमुख हैं, ने बताया,
“पिछली पीढ़ियों में लिंग के अनुसार कैंसर के रुझानों में अंतर विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं को तंबाकू और वायु प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियाँ विकसित करने में सहायता कर सकता है, खासकर उच्च जोखिम वाली आबादी के लिए।”

अध्ययन में यह भी कहा गया कि “गैर-धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मृत्यु का पांचवां प्रमुख कारण माना जाता है। यह लगभग पूरी तरह से एडेनोकार्सिनोमा के रूप में पाया जाता है और सबसे अधिक महिलाओं और एशियाई आबादी में देखा जाता है।”

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