भारत के विकास को बढ़ावा देने के लिए विनियमन कुंजी: सीईए वी अनंत नागेश्वरन

भारत को अपनी विकास यात्रा को गति देने के लिए घरेलू विकास कारकों पर निर्भर रहना होगा, क्योंकि वैश्वीकरण अब पहले की तरह सहायक नहीं रहेगा। मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को यह बात कही।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पर आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए नागेश्वरन ने कहा, “नियम-कानून छोटे व्यवसायों को असमान रूप से प्रभावित करते हैं। विनियमन को आसान बनाना सिर्फ व्यापार करने में सुगमता के लिए नहीं, बल्कि यह रोजगार सृजन का भी मार्ग है।”

राष्ट्र निर्माण में निजी क्षेत्र की भूमिका पर बोलते हुए नागेश्वरन ने कंपनियों के मुनाफे और वेतन वृद्धि के बीच असमानता को उजागर किया। उन्होंने कहा कि “2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए एक सामाजिक रूप से जिम्मेदार निजी क्षेत्र की आवश्यकता होगी।”

उन्होंने यह भी कहा कि “लाभ वृद्धि को वेतन वृद्धि के साथ संतुलित करना आवश्यक है, ताकि मांग बनी रहे और मध्यम व दीर्घकालिक अवधि में कॉर्पोरेट राजस्व एवं लाभप्रदता को समर्थन मिले।”

नागेश्वरन ने यह भी कहा कि निजी क्षेत्र को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लाभों और इसके सामाजिक प्रभावों के बीच संतुलन बनाना होगा।

उन्होंने आपूर्ति के लिए किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम पर जोर देते हुए कहा कि “कई उच्च और मध्यम तकनीकी क्षेत्रों में चीन की उपस्थिति व्यापक और प्रभावी है।”

उन्होंने कहा, “चीन का वैश्विक उत्पादन में हिस्सा संभवतः अगले दस बड़े देशों के कुल हिस्से से अधिक होगा। इससे उन्हें रणनीतिक लाभ और नियंत्रण हासिल होता है।”

नागेश्वरन ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के विभिन्न देश अब घरेलू प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे वैश्वीकरण अब पहले जैसा नहीं रहेगा।

उन्होंने कहा, “कई उत्पाद क्षेत्रों में एकल स्रोत पर निर्भरता भारत को आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, मूल्य अस्थिरता और मुद्रा जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाती है। भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत की वर्तमान जीडीपी वृद्धि दर में आई हल्की मंदी को वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में 2023 से आ रही गिरावट के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि “भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद न्यूनतम स्तर की वृद्धि बनाए रखना आवश्यक है, ताकि ‘विकसित भारत’ लक्ष्य हासिल किया जा सके।”

उन्होंने आगे कहा, “हम इन बुनियादी (विकास) संख्याओं को बढ़ा सकते हैं, जो अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं।”

आर्थिक सर्वेक्षण ने अगले वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान लगाया है।

नागेश्वरन ने यह भी कहा कि “हालांकि, इन वृद्धि अनुमानों में कच्चे तेल की कीमतों को लेकर कोई विशेष धारणा नहीं बनाई गई है, लेकिन निकट भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों में कोई बड़ा उछाल देखने की संभावना नहीं है।”

एलएंडटी (L&T) के चेयरमैन एस. एन. सुब्रह्मण्यन द्वारा प्रस्तावित 90 घंटे के वर्कवीक के विचार पर नागेश्वरन ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उन्होंने कहा कि “प्रबंधकों और सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध, कार्यभार का उचित संतुलन, और काम में गर्व एवं उद्देश्य की भावना मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि “खराब मानसिक स्वास्थ्य से कार्य दिवसों की संख्या घटती है और समग्र उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।”

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top