newsallindia.com

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनटीपीसी के मध्यस्थता फैसले को खारिज किया

दिल्ली हाई कोर्ट ने 2019 के मध्यस्थता पुरस्कार को रद्द कर दिया है, जिसमें NTPC लिमिटेड को जिंदल आईटीएफ लिमिटेड (JITF) को 1891 करोड़ रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया गया था। यह हर्जाना NTPC द्वारा कोयला परिवहन समझौते को गलत तरीके से समाप्त करने के आरोपों के चलते दिया गया था।

न्यायमूर्ति दिनेश शर्मा की अध्यक्षता वाली अदालत ने कहा कि यह पुरस्कार “स्पष्ट रूप से अवैध, सार्वजनिक नीति के विरुद्ध और न्यायिक अंतरात्मा को झकझोरने वाला” है। अदालत ने यह भी माना कि यह पुरस्कार पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसे पूरी तरह रद्द किया जाना चाहिए।

मामले की पृष्ठभूमि

2008 में, NTPC और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के बीच सहमति ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें फरक्का प्लांट के लिए कोयला परिवहन के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग का उपयोग करने की संभावना का अध्ययन किया जाना था।

2011 में, IWAI ने कोयले के जलमार्ग परिवहन के लिए ऑपरेटर के चयन हेतु प्रस्ताव आमंत्रण (RFP) जारी किया। इस प्रस्ताव में NTPC, JITF और IWAI के बीच त्रिपक्षीय समझौता शामिल था, जिसमें फरक्का प्लांट पर बुनियादी ढांचे के निर्माण और कोयला परिवहन समझौते की शर्तें तय की गई थीं।

JITF को कोयला परिवहन के लिए चयनित ऑपरेटर के रूप में चुना गया और एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ। इसके तहत JITF को कोयला अनलोडिंग और सामग्री प्रबंधन प्रणाली (Material Handling System – MHS) के दो चरणों का निर्माण करना था।

विवाद और मध्यस्थता

समझौते के अनुसार, NTPC को आयातित कोयला आपूर्तिकर्ताओं से कोयला खरीदना और जलमार्ग के माध्यम से JITF को भेजना था। JITF को इसे रोजाना कम से कम 12,000 टन की दर से NTPC के प्लांट तक पहुंचाना था।

हालांकि, दोनों पक्षों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया और 2017 में इसे मध्यस्थता (Arbitration) के लिए भेजा गया।

JITF ने NTPC पर MHS के पहले और दूसरे चरण के निर्माण में देरी के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया और इसके चलते राजस्व हानि के लिए हर्जाने की मांग की।

2019 में, मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने JITF के पक्ष में 1891 करोड़ रुपये का हर्जाना देने का आदेश दिया।

NTPC की आपत्ति और कोर्ट का फैसला

NTPC ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी और तर्क दिया कि:

अनुबंध अधिनियम (Contract Act) का घोर उल्लंघन हुआ है।

‘नो डैमेज क्लॉज’ के बावजूद 417 करोड़ रुपये की देनदारी थोपी गई।

हर्जाने की गणना गलत तारीख से की गई।

मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने उनकी प्रति-दावों (Counterclaims) को खारिज कर दिया और अनुबंध की शर्तों को फिर से लिखा, जो अनुचित है।

दिल्ली हाई कोर्ट ने NTPC की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण को उचित देखभाल और कौशल के साथ निर्णय लेना चाहिए था।

अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि यह मध्यस्थता पुरस्कार कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है और इसे पूरी तरह से रद्द किया जाना चाहिए।

Exit mobile version