हाल के समय में वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच संबंधों में सुधार देखा गया है। डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित किया, जो एक अभूतपूर्व कदम था। इसके अलावा, पाकिस्तान ने ट्रम्प को भारत-पाकिस्तान संघर्ष को सुलझाने में उनकी भूमिका के लिए नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया। पाकिस्तान ने ट्रम्प की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी “निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप” और “महत्वपूर्ण नेतृत्व” ने मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन की सैन्य टकराव को समाप्त करने में मदद की।
पाकिस्तान ने ट्रम्प प्रशासन के साथ कई रणनीतिक कदम उठाए हैं ताकि उनका ध्यान आकर्षित किया जा सके। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान ने 2021 के काबुल हवाई अड्डे पर आत्मघाती बमबारी में शामिल आईएसआईएस-के आतंकवादी मोहम्मद शरीफुल्लाह को अमेरिका को सौंपा। यह कदम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा रणनीतिक रूप से उठाया गया, जिसने शरीफुल्लाह को हिरासत में रखकर कई गुप्त ऑपरेशन चलाए और सही समय पर उसे अमेरिका को सौंपकर ट्रम्प प्रशासन के साथ संबंध मजबूत किए।
इसके अलावा, पाकिस्तान ने तेल सौदे के जरिए भी ट्रम्प का ध्यान खींचने की कोशिश की। ट्रम्प ने घोषणा की कि अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान के तेल भंडार को विकसित करेंगे, हालांकि इन भंडारों की मात्रा और व्यावसायिक उपयोगिता अभी तक स्पष्ट नहीं है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के पास 9.1 बिलियन बैरल शेल तेल हो सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। यह सौदा ट्रम्प के व्यापार-केंद्रित दृष्टिकोण को आकर्षित करने का एक तरीका हो सकता है।
पाकिस्तान ने क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में भी अमेरिका के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश की है। हाल ही में पाकिस्तान की क्रिप्टो काउंसिल ने अमेरिका की वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल के साथ एक समझौता किया, जिसमें ट्रम्प के बेटों, एरिक और डोनाल्ड जूनियर, जैसे हाई-प्रोफाइल लोग शामिल हैं। यह कदम भी ट्रम्प के निजी और व्यावसायिक हितों को लक्षित करता है।
हालांकि, कई विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच यह करीबी रिश्ता एक “सुविधा का विवाह” है। पाकिस्तान ने ऐतिहासिक रूप से अमेरिका को अपने हितों के लिए इस्तेमाल किया है, विशेष रूप से आतंकवाद विरोधी सहयोग और क्षेत्रीय रणनीति में। ट्रम्प का ध्यान आकर्षित करने के लिए पाकिस्तान अपनी सैन्य और रणनीतिक क्षमताओं का उपयोग कर रहा है, जैसे कि भारत के साथ हाल के संघर्ष में अपनी स्थिति को मजबूत दिखाना।
लेकिन यह रिश्ता कितना टिकाऊ है? कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन की नीतियां व्यक्तिगत और अस्थिर हैं, और पाकिस्तान के साथ यह नजदीकी उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करती है, न कि दीर्घकालिक संस्थागत नीति पर। इसके अलावा, भारत ने बार-बार इस बात से इनकार किया है कि ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष में कोई मध्यस्थता की थी, और इसे द्विपक्षीय समझौते का नतीजा बताया है।