पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में अधिवास (डोमिसाइल) आरक्षण असंवैधानिक: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि पीजी मेडिकल सीटों में अधिवास (डोमिसाइल) आधारित आरक्षण अनुचित है, क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है और असंवैधानिक है।

इस फैसले में यह स्पष्ट किया गया कि राज्य कोटे के तहत पीजी मेडिकल प्रवेश केवल नीट परीक्षा में योग्यता के आधार पर होना चाहिए।

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, “पीजी मेडिकल पाठ्यक्रमों में निवास-आधारित आरक्षण स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है।”

शीर्ष अदालत ने यह निर्णय 2019 में दायर तान्वी बेहल और श्रेय गोयल के मामले की सुनवाई के बाद सुनाया।

प्रदीप जैन और सौरभ चंद्र मामलों में दिए गए पूर्व के फैसलों का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम सभी भारत की संपूर्ण भूमि के अधिवासी (डोमिसाइल) हैं। राज्य या प्रांतीय अधिवास जैसी कोई चीज नहीं होती। केवल एक ही अधिवास होता है, और हम सभी भारत के निवासी हैं।”

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि उसका यह निर्णय पहले से दिए गए अधिवास-आधारित आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा।

“जो छात्र पहले से पीजी पाठ्यक्रम कर रहे हैं या जिन्होंने अधिवास श्रेणी के तहत डिग्री पूरी कर ली है, उन्हें इस फैसले से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,” शीर्ष अदालत ने कहा।

अदालत ने यह भी जोर दिया कि संविधान भारत में कहीं भी निवास चुनने और पूरे देश में व्यापार एवं पेशे का अधिकार देता है।

“संविधान हमें भारत के किसी भी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश लेने का अधिकार देता है,” सुप्रीम कोर्ट ने कहा।

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