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तमिलनाडु ने एक नवोन्मेषी पहल के माध्यम से टीबी मृत्यु दर को कैसे कम किया

तमिलनाडु ने एक नवोन्मेषी पहल के माध्यम से टीबी मृत्यु दर को कैसे कम किया

तमिलनाडु ने तमिलनाडु कसनोई एरप्पिला थिट्टम (TN-KET), जिसका अर्थ है “टीबी मृत्यु मुक्त परियोजना,” के माध्यम से तपेदिक (Tuberculosis – TB) से होने वाली मौतों को कम करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। यह पहल अप्रैल 2022 में शुरू की गई थी और यह भारत में अपनी तरह की पहली राज्य-स्तरीय डिफरेंशियेटेड टीबी केयर मॉडल (Differentiated TB Care Model) पर आधारित है। इसने तमिलनाडु में टीबी से होने वाली शुरुआती मौतों (पहले दो महीनों में होने वाली मृत्यु) को 20% तक कम किया और 2024 में दो-तिहाई जिलों में कुल मृत्यु दर में 20-30% की कमी दर्ज की गई। नीचे इस पहल के प्रमुख पहलुओं और इसके प्रभाव को विस्तार से समझाया गया है।

TN-KET क्या है?

TN-KET कैसे काम करता है?

TN-KET का मूल मंत्र है ट्रायजिंग (Triage), यानी निदान के समय मरीजों की गंभीरता का आकलन करना और गंभीर मरीजों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कर उपचार शुरू करना। इसकी प्रक्रिया निम्नलिखित है:

  1. पांच-पैरामीटर ट्रायज टूल:स्वास्थ्य कार्यकर्ता प्रत्येक नव-निदान टीबी मरीज के लिए पांच मापदंडों का आकलन करते हैं, जिनमें कोई प्रयोगशाला परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती: बॉडी मास इंडेक्स (BMI): गंभीर कुपोषण की जांच के लिए ऊंचाई और वजन। पैरों में सूजन (Pedal Oedema): 15 सेकंड तक दबाकर पैरों की सूजन की जांच। श्वसन दर (Respiratory Rate): बैठे हुए मरीज की प्रति मिनट श्वास दर। ऑक्सीजन संतृप्ति (Oxygen Saturation): पल्स ऑक्सीमीटर से माप। बिना सहारे खड़े होने की क्षमता: शारीरिक स्थिति का आकलन। इन पांच मापदंडों के आधार पर मरीजों को “गंभीर रूप से बीमार” के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  2. TB SeWA (Severe TB Web Application):तमिलनाडु ने TB SeWA नामक एक वेब एप्लिकेशन लॉन्च किया, जो इन मापदंडों को दर्ज करने पर मरीज की मृत्यु की संभावना का अनुमान लगाता है। यह एप्लिकेशन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को तत्काल कार्रवाई के लिए मार्गदर्शन करता है, जैसे गंभीर मरीजों को तुरंत अस्पताल में भर्ती करना। 2025 में, ICMR-NIE ने इस एप्लिकेशन में एक मृत्यु भविष्यवाणी मॉडल जोड़ा, जो 56,000 टीबी मरीजों के डेटा (जुलाई 2022-जून 2023) का उपयोग करके मृत्यु की संभावना को 10% से 50% तक अनुमानित करता है। गैर-गंभीर मरीजों में यह जोखिम केवल 1-4% होता है।
  3. तेजी से भर्ती और उपचार:गंभीर मरीजों को नोडल इनपेशेंट केयर सुविधाओं (जैसे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और जिला मुख्यालय अस्पतालों) में तुरंत भर्ती किया जाता है। औसतन, निदान से भर्ती तक का समय एक दिन है, हालांकि 25% गंभीर मरीजों को 3-6 दिनों की देरी का सामना करना पड़ता है, जिसे कम करने के लिए नया मॉडल काम कर रहा है। भर्ती की औसत अवधि 5-7 दिन है, जिसमें गंभीर कुपोषण वाले मरीजों को लंबे समय तक उपचार की आवश्यकता होती है।
  4. प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचा:तमिलनाडु के सभी 2,800 सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक) में TB SeWA और पेपर-आधारित ट्रायज टूल का उपयोग किया जाता है। गैर-नर्सिंग सुपरवाइजरी स्टाफ को भी इन मापदंडों को मापने और ट्रायज करने का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रत्येक जिले में 2-3 नोडल अस्पतालों को गंभीर मरीजों के लिए मैप किया गया है।

TN-KET के प्रभाव

प्रमुख विशेषताएं और नवाचार

  1. सरल और प्रभावी ट्रायज टूल:राष्ट्रीय दिशानिर्देशों में 16 मापदंडों की सिफारिश की गई थी, लेकिन TN-KET ने केवल 5 मापदंडों का उपयोग करके प्रक्रिया को सरल और तेज किया, जिससे 6-7 दिन की बचत हुई। यह टूल बिना प्रयोगशाला परीक्षण के नग्न आंखों से अवलोकन और बुनियादी माप पर आधारित है।
  2. TB SeWA और मृत्यु भविष्यवाणी मॉडल:2025 में लॉन्च किया गया यह मॉडल स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को गंभीर मरीजों की पहचान करने और तत्काल कार्रवाई करने में मदद करता है। यह मृत्यु की संभावना को 10-50% (गंभीर मरीजों के लिए) और 1-4% (गैर-गंभीर मरीजों के लिए) अनुमानित करता है।
  3. पोषण और सह-रुग्णता प्रबंधन:गंभीर कुपोषण, टीबी/एचआईवी सह-संक्रमण, और कम वजन (<35 किग्रा) वाले मरीजों में मृत्यु का जोखिम अधिक होता है। TN-KET इन मरीजों को पोषण सहायता और विशेष उपचार प्रदान करता है। तमिलनाडु ने अनियंत्रित मधुमेह जैसे अन्य सह-रुग्णताओं की पहचान शुरू की है।

चुनौतियां

राष्ट्रीय और वैश्विक संदर्भ

निष्कर्ष

तमिलनाडु का TN-KET एक अभिनव और प्रभावी मॉडल है, जिसने साधारण ट्रायज टूल और TB SeWA एप्लिकेशन के माध्यम से टीबी मृत्यु दर को कम किया है। इसने न केवल शुरुआती मृत्यु को 20% तक कम किया, बल्कि अन्य राज्यों और उच्च टीबी बोझ वाले देशों के लिए एक नजीर स्थापित की है। पांच मापदंडों पर आधारित सरल ट्रायजिंग, तेजी से भर्ती, और व्यक्तिगत उपचार ने गंभीर मरीजों को तत्काल देखभाल प्रदान की। इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की चर्चा चल रही है, जो भारत के टीबी उन्मूलन लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

 

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