निसान (7201.T) पिछले साल के अंत में गहरे संकट में था, जब उसके प्रतिद्वंद्वी होंडा (7267.T) ने 60 अरब डॉलर का एक सहयोग प्रस्ताव दिया। यह सौदा दोनों जापानी ऑटो कंपनियों को उन चीनी ब्रांडों से मुकाबला करने में मदद कर सकता था, जो ऑटोमोबाइल उद्योग में बड़ा बदलाव ला रहे हैं।
लेकिन वर्षों की घटती बिक्री और प्रबंधन में उथल-पुथल ने निसान को कमजोर कर दिया था, खासकर जब उसने अमेरिका में हाइब्रिड कारों की मांग को कम आंका, जो उसका सबसे बड़ा बाजार है।
धीमे निर्णय ने बिगाड़ा सौदा
विलय की यह बातचीत महज एक महीने से ज्यादा नहीं टिक पाई। इसकी मुख्य वजह निसान की अपनी स्थिति की गंभीरता को नजरअंदाज करना, और होंडा द्वारा प्रस्तावित नए शर्तें थीं, जिनके तहत निसान को होंडा की सहायक कंपनी (subsidiary) बनना पड़ता। इस मामले से जुड़े छह लोगों के अनुसार, यही विवाद सौदे को खत्म करने की वजह बना।
2010 तक टोयोटा के बाद जापान का दूसरा सबसे बड़ा ऑटो निर्माता रहा निसान, वार्ता में बराबरी का दर्जा चाहता था, जबकि उसकी स्थिति कमजोर थी। होंडा ने निसान पर कर्मचारियों की कटौती और फैक्ट्री उत्पादन में कमी करने का दबाव डाला, लेकिन निसान राजनीतिक रूप से संवेदनशील फैक्ट्रियों को बंद करने के लिए तैयार नहीं था।
सूत्रों के मुताबिक, निसान को ऐसा लग रहा था कि वह अपने दम पर संकट से उबर सकता है, जबकि होंडा के प्रबंधन को निसान की धीमी निर्णय-प्रक्रिया और हठधर्मिता ने सौदे को तोड़ने पर मजबूर कर दिया।
निसान के संकट पर नए खुलासे
यह रिपोर्ट दिखाती है कि निसान अपने संकट को किस तरह देख रहा है। अब, उसे एक और नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है – अमेरिका द्वारा मैक्सिको में बनी कारों पर नए टैरिफ। ये वाहन अमेरिका में निसान की कुल बिक्री का एक चौथाई हिस्सा बनाते हैं।
विश्लेषक जूली बूटी के अनुसार, “निसान की सबसे बड़ी समस्या प्रबंधन में है। वे अपनी स्थिति, ब्रांड वैल्यू और खुद को उबारने की क्षमता को जरूरत से ज्यादा आंक रहे हैं।”
निसान और होंडा ने वार्ता से जुड़े विशेष पहलुओं पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
निसान के सीईओ माकोटो उचिदा ने पिछले हफ्ते होंडा प्रमुख तोशिहिरो मिबे से मुलाकात की और बातचीत समाप्त करने की इच्छा जताई। दोनों कंपनियां इस महीने इस मामले पर आधिकारिक अपडेट देंगी।
बहुत देर, बहुत कम?
नवंबर में, निसान ने चीन और अमेरिका में गिरती बिक्री के कारण अपने मुनाफे का पूर्वानुमान 70% घटा दिया। इसके जवाब में, उसने 9,000 नौकरियों की कटौती और वैश्विक उत्पादन क्षमता में 20% की कमी की योजना बनाई। हालांकि, कई विश्लेषकों का मानना है कि यह बहुत देर से लिया गया और अपर्याप्त निर्णय है।