
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार, 7 फरवरी को रेपो दर में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती कर 6.25% कर दी। इस कदम का असर बैंकों पर उनकी ऋण संरचना (loan book structure) और तरलता स्थिति (liquidity position) के आधार पर अलग-अलग होगा।
फायदा किन बैंकों को होगा?
1. फिक्स्ड-रेट लोन वाले बैंक: मार्जिन और लाभ में बढ़ोतरी
जिन बैंकों के पास अधिक फिक्स्ड-रेट लोन हैं, वे इस कटौती से सबसे अधिक लाभ उठाएंगे। कम ब्याज दर से पुनर्वित्त (refinancing) करना सस्ता होगा, जिससे नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) और लाभप्रदता (profitability) बढ़ेगी।
प्रमुख लाभार्थी:
बंधन बैंक (77% फिक्स्ड-रेट लोन) – ब्याज दरों में गिरावट का सबसे अधिक फायदा।
AU स्मॉल फाइनेंस बैंक (70%) – पुनर्वित्त (refinancing) के अवसरों से लाभ।
IDFC फर्स्ट बैंक (61%) – फंडिंग लागत कम होने से मार्जिन में सुधार।
इंडियन बैंक (50%) – मध्यम लाभ, लेकिन स्थिरता मिलेगी।
ICICI बैंक (31%) और एक्सिस बैंक (30%) – अधिक फ्लोटिंग-रेट लोन हैं, लेकिन धीरे-धीरे लाभ मिलेगा।
2. हाई LDR बैंक: उधार देने की क्षमता में वृद्धि
जिन बैंकों का लोन-टू-डिपॉजिट रेशियो (LDR) अधिक है, वे बाहरी उधारी (external borrowing) पर अधिक निर्भर हैं। रेपो दर में कटौती उनकी फंडिंग लागत कम करेगी, जिससे वे अधिक आक्रामक रूप से ऋण (loan) दे सकेंगे और लाभप्रदता बढ़ा सकेंगे।
प्रमुख लाभार्थी:
HDFC बैंक (98% LDR) – फंडिंग दबाव कम होगा, जिससे कर्ज वितरण बढ़ेगा।
IDFC फर्स्ट बैंक (94%) – नए ऋण देने की अधिक क्षमता मिलेगी।
एक्सिस बैंक (93%) – कम उधारी लागत से ऋण देने की गति बनी रहेगी।
बंधन बैंक (91%) और इंडियन बैंक (90%) – अधिक क्रेडिट विस्तार करने की क्षमता।
3. तरलता-समृद्ध (Liquidity-Rich) बैंक: विस्तार के लिए तैयार
जिन बैंकों का LDR कम है, उनके पास पर्याप्त तरलता (liquidity) होती है। वे इस अवसर का उपयोग कर ऋण देने की क्षमता बढ़ा सकते हैं।
प्रमुख लाभार्थी:
SBI (77% LDR) – ऋण वितरण को बढ़ाने की अच्छी स्थिति में।
इंडियन बैंक (90%) – स्थिर फंडिंग बेस से लाभ।
कुल प्रभाव
✅ फिक्स्ड-रेट लोन वाले बैंक (बंधन, AU, IDFC फर्स्ट) – पुनर्वित्त और NIM में सुधार से लाभ।
✅ उच्च LDR वाले बैंक (HDFC, एक्सिस, IDFC फर्स्ट) – फंडिंग लागत कम होने से ऋण वृद्धि को बढ़ावा।
✅ तरलता-समृद्ध बैंक (SBI, इंडियन बैंक) – उधारी बढ़ाने और बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का अवसर।
मुख्य निष्कर्ष:
रेपो दर में कटौती उन बैंकों के लिए सबसे अधिक फायदेमंद होगी जिनके पास अधिक फिक्स्ड-रेट लोन और उच्च LDR है। हालांकि, दीर्घकालिक सफलता बैंक की तरलता स्थिति (liquidity position) और ऋण पोर्टफोलियो (loan book composition) पर निर्भर करेगी।
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