रूस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती की धमकी को गंभीरता से नहीं लिया है। रूसी सांसद विक्टर वोडोलात्स्की ने कहा कि ट्रम्प द्वारा “उचित क्षेत्रों” में तैनात की गई अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियां पहले से ही रूसी परमाणु पनडुब्बियों के नियंत्रण में हैं। उन्होंने दावा किया कि रूस के पास विश्व के समुद्रों में अमेरिका से अधिक परमाणु पनडुब्बियां हैं, इसलिए इस धमकी का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है। वोडोलात्स्की ने यह भी आग्रह किया कि रूस और अमेरिका के बीच एक “मौलिक समझौता” होना चाहिए ताकि विश्व शांति बनी रहे और तीसरे विश्व युद्ध की चर्चा को रोका जा सके।
यह बयान ट्रम्प के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर दिए गए दावे के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के “उत्तेजक बयानों” के जवाब में दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का आदेश देने की बात कही थी। मेदवेदेव ने ट्रम्प के यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए रूस पर लगाए गए अल्टीमेटम को “युद्ध की ओर कदम” करार दिया था।
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी अमेरिका के साथ सीधे सैन्य टकराव से बचने की वकालत की और कहा कि दोनों देशों को तनाव कम करने के लिए बातचीत करनी चाहिए। रूसी विश्लेषक फ्योदोर लुक्यानोव ने ट्रम्प के बयान को भावनात्मक और अतिशयोक्तिपूर्ण बताया, यह कहते हुए कि इसे अभी गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।
हालांकि, इस बयानबाजी ने वैश्विक बाजारों पर असर डाला है, और मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज में गिरावट दर्ज की गई। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसी बयानबाजी दोनों देशों के बीच विश्वास को और कम कर सकती है, खासकर जब परमाणु हथियारों पर नियंत्रण से संबंधित समझौते पहले ही कमजोर हो चुके हैं।
वोडोलात्स्की ने सुझाव दिया कि रूस और अमेरिका को एक समझौते की ओर बढ़ना चाहिए ताकि परमाणु युद्ध की आशंकाएं कम हो सकें और वैश्विक स्थिरता बनी रहे।