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शेयर बाजार में तेज गिरावट: रिलायंस, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स और अन्य स्टॉक्स 52-सप्ताह के निचले स्तर पर

शेयर बाजार में तेज बिकवाली के चलते बुधवार के इंट्रा-डे ट्रेड में रिलायंस इंडस्ट्रीज, एशियन पेंट्स, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन और टाटा मोटर्स के शेयरों ने अपने 52-सप्ताह के निचले स्तर को छू लिया।

बीएसई 100 इंडेक्स में शामिल कोल इंडिया, केनरा बैंक, डीएलएफ, गेल (इंडिया), हीरो मोटोकॉर्प, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, जियो फाइनेंशियल सर्विसेज, आरईसी और ट्यूब इन्वेस्टमेंट्स ऑफ इंडिया भी बुधवार को 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गए। इन शेयरों में बीएसई पर इंट्रा-डे ट्रेड में 5% तक की गिरावट देखी गई।

सुबह 10:00 बजे बीएसई 500 इंडेक्स (जो बीएसई में सूचीबद्ध 89% कंपनियों को कवर करता है) 1.7% गिरा, जबकि बीएसई सेंसेक्स में 1% की गिरावट दर्ज की गई।

बाजार में गिरावट के पीछे कारण

गियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर के अनुसार, “अमेरिकी व्यापार नीतियों और टैरिफ को लेकर जारी अनिश्चितता, घरेलू आर्थिक विकास को लेकर चिंताओं और विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की लगातार बिकवाली से बाजार की धारणा कमजोर हुई है।”

मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक्स में भी बड़ी गिरावट देखी गई, जिसका कारण मांग संबंधी चिंताएं और उच्च वैल्यूएशन हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हस्तक्षेप से रुपया कुछ हद तक सुधरा, लेकिन यह अब भी दबाव में है, जिससे निकट भविष्य में बाजार अस्थिर बना रह सकता है।

निवेशक प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा से व्यापारिक अनिश्चितता में राहत की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि अमेरिकी मुद्रास्फीति डेटा भी बाजार की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण होगा।

HSBC ग्लोबल रिसर्च का नजरिया

HSBC ग्लोबल रिसर्च का मानना है कि भारत की प्रीमियम वैल्यूएशन तब तक दबाव में रहेगी जब तक कि अर्निंग्स (कमाई) स्थिर नहीं हो जाती।

HSBC के अनुसार, FYQ3 के नतीजे अनुमानों से कमजोर रहे, जबकि पहले ही अपेक्षाएं कम कर दी गई थीं। आने वाले कम से कम दो तिमाहियों तक ग्रोथ कमजोर रहने की संभावना है।

ब्रोकरेज फर्म ने कहा, “हम 2025 में 15% ग्रोथ एक्सपेक्टेशन के लिए डाउनसाइड रिस्क देख रहे हैं। हालांकि, कुछ कंपनियों में अच्छी ग्रोथ की संभावना है। हाल की बिकवाली के बाद, मजबूत या सुधार की ओर बढ़ रही कंपनियों के लिए यह अच्छा अवसर हो सकता है।”

DLF में 5% की गिरावट

रियल एस्टेट कंपनी DLF के शेयरों में 5% की गिरावट आई और यह 676.20 रुपये पर पहुंच गया, जो 4 जून, 2024 को बनाए गए पिछले निचले स्तर 689.90 रुपये से नीचे है। स्टॉक अपने 52-सप्ताह के उच्चतम स्तर 677.80 रुपये (1 अप्रैल, 2024) से 30% गिर चुका है।

HSBC ग्लोबल रिसर्च के अनुसार, रियल एस्टेट की मांग अब मिड-इनकम हाउसिंग की ओर बढ़ने की संभावना है। पिछले चार वर्षों (2021-24) में, रेजिडेंशियल रियल एस्टेट की प्री-सेल्स वॉल्यूम 18% और वैल्यू 31% की CAGR से बढ़ी है। हालांकि, 2025 में भी ग्रोथ की संभावना बनी हुई है, लेकिन हाई बेस इफेक्ट के चलते ग्रोथ की गति धीमी हो सकती है।

यदि अप्रूवल साइकिल कमजोर रहती है, तो कंपनियों को FY26 की ग्रोथ गाइडेंस घटानी पड़ सकती है।

जियो फाइनेंशियल सर्विसेज 43% टूटा

जियो फाइनेंशियल सर्विसेज का शेयर 5% गिरकर 223.60 रुपये के 52-सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गया। अप्रैल 2024 में 394.70 रुपये के हाई के मुकाबले यह 43% गिर चुका है।

पिछले एक महीने में स्टॉक 20% गिरा, जिसका मुख्य कारण कंपनी का Q3FY25 का कमजोर प्रदर्शन रहा। तिमाही दर तिमाही (QoQ) PAT में 57.2% की गिरावट आई, और नेट इंटरेस्ट इनकम (NII) सालाना आधार (YoY) पर 21.9% घटी।

हालांकि, कंपनी म्यूचुअल फंड, इंश्योरेंस और डिजिटल सॉल्यूशंस जैसी सेवाओं के साथ अपने ऑपरेशंस को बढ़ा रही है, लेकिन अभी ग्रोन और स्केलिंग फेज में है। विश्लेषकों का मानना है कि निकट भविष्य में अनिश्चितता के कारण निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए, हालांकि कंपनी की लंबी अवधि की संभावनाएं मजबूत हैं।

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