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कौन हैं ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ??

सय्यद अली होसैनी खामेनेई (जन्म: 17 जुलाई 1939) ईरान के सर्वोच्च नेता हैं, जो 4 जून 1989 से इस पद पर आसीन हैं। यह ईरान में सर्वोच्च धार्मिक और राजनीतिक पद है, जो देश की नीतियों, सशस्त्र बलों, न्यायपालिका और अन्य प्रमुख संस्थानों पर नियंत्रण रखता है। खामेनेई को ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद देश का दूसरा सर्वोच्च नेता बनाया गया, जब उन्होंने रूहोल्लाह खोमैनी का स्थान लिया, जो इस्लामी क्रांति (1979) के संस्थापक थे। खामेनेई का प्रभाव ईरान की आंतरिक और विदेश नीति, धार्मिक मामलों और सामाजिक ढांचे पर गहरा है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

अली खामेनेई का जन्म मशहद, ईरान में एक धार्मिक शिया परिवार में हुआ था। उनके पिता, सय्यद जवाद खामेनेई, एक सम्मानित धर्मगुरु थे। खामेनेई ने कम उम्र में ही इस्लामी अध्ययन शुरू कर दिया और मशहद, नजफ (इराक) और क़ोम (ईरान) जैसे प्रमुख धार्मिक केंद्रों में शिया धर्मशास्त्र, फिक़्ह (इस्लामी कानून), और दर्शनशास्त्र की शिक्षा प्राप्त की। वे एक मरजा (उच्च शिया धर्मगुरु) बनने की दिशा में अध्ययन कर रहे थे, लेकिन उनकी राजनीतिक गतिविधियों ने उनके करियर को एक नया मोड़ दिया।

राजनीतिक और धार्मिक करियर

खामेनेई 1960 के दशक से ही रूहोल्लाह खोमैनी के अनुयायी बन गए और शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन के खिलाफ इस्लामी क्रांति में सक्रिय रूप से शामिल हुए। उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया और जेल में डाला गया। खामेनेई ने खोमैनी के विचारों को फैलाने और जनता को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (1981-1989)

1979 में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद, खामेनेई ने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। वे 1981 में ईरान के राष्ट्रपति चुने गए और 1985 में दोबारा चुने गए। उनके राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान ईरान-इराक युद्ध (1980-1988) जैसे बड़े संकटों का सामना करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने देश की रक्षा और आर्थिक नीतियों को मजबूत करने में योगदान दिया।

सर्वोच्च नेता के रूप में

1989 में खोमैनी की मृत्यु के बाद, विशेषज्ञों की सभा (Assembly of Experts) ने खामेनेई को सर्वोच्च नेता के रूप में चुना। उस समय उनकी धार्मिक योग्यता को लेकर कुछ विवाद हुआ, क्योंकि वे पारंपरिक रूप से मरजा नहीं थे, जो सर्वोच्च नेता के लिए एक सामान्य अपेक्षा थी। हालांकि, उनकी नियुक्ति को स्वीकार किया गया, और बाद में उन्हें मरजा का दर्जा भी दिया गया।

सर्वोच्च नेता के रूप में, खामेनेई का नियंत्रण ईरान की सरकार, सेना (विशेष रूप से इस्लामी क्रांतिकारी गार्ड कोर – IRGC), और धार्मिक संस्थानों पर है। वे देश की नीतियों को निर्देशित करते हैं और प्रमुख निर्णयों में अंतिम मंजूरी देते हैं। उनके कार्यकाल में ईरान ने कई अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर मजबूत रुख अपनाया, जैसे कि परमाणु कार्यक्रम, इजरायल के साथ तनाव, और मध्य पूर्व में प्रभाव बढ़ाने की नीति।

विचारधारा और नीतियां

खामेनेई इस्लामी क्रांति के सिद्धांतों के प्रबल समर्थक हैं। वे “विलायत-ए-फकीह” (इस्लामी शासन का सिद्धांत) में विश्वास रखते हैं, जिसके तहत धार्मिक नेता को शासन का सर्वोच्च अधिकार होना चाहिए। उनकी नीतियां इस्लामी मूल्यों, पश्चिमी प्रभाव के विरोध, और क्षेत्रीय शक्ति के विस्तार पर केंद्रित रही हैं।

विदेश नीति: खामेनेई ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रति सख्त रवैया अपनाया है, जिसे वे “वैश्विक साम्राज्यवाद” के रूप में देखते हैं। उनके नेतृत्व में ईरान ने लेबनान, सीरिया, यमन और इराक जैसे क्षेत्रों में अपनी सैन्य और राजनीतिक उपस्थिति बढ़ाई है।

परमाणु कार्यक्रम: खामेनेई ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक माना है। 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) पर उनकी सहमति थी, लेकिन बाद में अमेरिका के समझौते से हटने के बाद उन्होंने सख्त रुख अपनाया।

आंतरिक नीतियां: उनके शासन में सामाजिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी और मानवाधिकारों को लेकर कई विवाद रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों, जैसे 2009 के ग्रीन मूवमेंट और हाल के वर्षों में आर्थिक असंतोष के प्रदर्शनों, को दबाने में उनकी सरकार की कठोर नीतियों की आलोचना हुई है।

व्यक्तिगत जीवन

खामेनेई एक सादा जीवन जीने के लिए जाने जाते हैं। उनके पास एक पुस्तकालय है, जिसमें हजारों किताबें हैं, और वे साहित्य, कविता और इतिहास में रुचि रखते हैं। उनके छह बच्चे हैं, और वे अपने निजी जीवन को सार्वजनिक चर्चा से दूर रखते हैं।

विवाद और आलोचना

खामेनेई के नेतृत्व की कई मायनों में आलोचना होती रही है। कुछ लोग उन्हें एक तानाशाह के रूप में देखते हैं, जिन्होंने ईरान में लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को दबाया। उनके शासन में मानवाधिकार उल्लंघन, राजनीतिक कैदियों की सजा, और महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंधों की आलोचना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई है। साथ ही, ईरान की आर्थिक समस्याओं और भ्रष्टाचार के लिए भी उनकी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

अली खामेनेई ईरान के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने चार दशकों से अधिक समय तक देश की दिशा तय की है। उनकी धार्मिक और राजनीतिक विचारधारा ने ईरान को एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया, लेकिन साथ ही कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों को भी जन्म दिया। उनकी विरासत को लेकर ईरान और विश्व में अलग-अलग मत हैं, जहां कुछ उन्हें इस्लामी क्रांति के रक्षक के रूप में देखते हैं, तो कुछ उनकी नीतियों को विवादास्पद मानते हैं।

 

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