राजस्थान के दो शिक्षकों ने कैसे स्थापित की ‘लैब’ और शुरू किया सिंथेटिक ड्रग्स का निर्माण

राजस्थान के श्रीगंगानगर में एक सनसनीखेज मामले में, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने 8 जुलाई 2025 को एक गुप्त ड्रग्स लैब का भंडाफोड़ किया, जो एक आवासीय अपार्टमेंट में चल रही थी। इस लैब को दो विज्ञान शिक्षकों, 25 वर्षीय मनोज भार्गव और 35 वर्षीय इंद्रजीत बिश्नोई, द्वारा संचालित किया जा रहा था, जिन्हें अमेरिकी टीवी सीरीज ‘ब्रेकिंग बैड’ से प्रेरणा मिली थी। इस सीरीज में एक हाई स्कूल केमिस्ट्री टीचर, वाल्टर व्हाइट, मेथमफेटामाइन ड्रग बनाने का काम शुरू करता है।

मामला और गिरफ्तारी

  • आरोपियों की पहचान: मनोज भार्गव, श्रीगंगानगर के मुक्लावा में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में विज्ञान शिक्षक हैं, जबकि इंद्रजीत बिश्नोई, जो पहले एक कोचिंग सेंटर में फिजिक्स पढ़ाते थे, वर्तमान में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) की तैयारी कर रहे हैं। दोनों पिछले 15 साल से दोस्त हैं।
  • लैब का स्थान: दोनों ने श्रीगंगानगर के रिद्धि-सिद्धि एन्क्लेव में ड्रीम होम्स अपार्टमेंट्स में 10,000 रुपये मासिक किराए पर एक फ्लैट लिया था। इस फ्लैट को उन्होंने ड्रग्स बनाने की हाईटेक लैब में बदल दिया।
  • छापेमारी: NCB की जोधपुर इकाई ने 8 जुलाई 2025 को सुबह इस फ्लैट पर छापा मारा। छापेमारी में 780 ग्राम मेफेड्रोन (MD) ड्रग, जिसकी कीमत लगभग 2.34 करोड़ रुपये है, और ड्रग्स बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रसायन और उपकरण बरामद किए गए।

ड्रग्स और लैब का विवरण

  • मेफेड्रोन (MD): यह एक सिंथेटिक उत्तेजक ड्रग है, जो कैथिनोन परिवार से संबंधित है। यह तुरंत उत्साह की भावना पैदा करता है, लेकिन यह अत्यधिक नशे की लत है और लगातार उपयोग से गंभीर मनोवैज्ञानिक और शारीरिक नुकसान हो सकता है।
  • बरामद सामग्री: छापेमारी में एसिटोन, बेंजीन, सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट, ब्रोमीन, मिथाइलमाइन, आइसोप्रोपाइल अल्कोहल, 4-मिथाइल प्रोपियोफेनोन, और एन-मिथाइल-2-पायरोलिडोन जैसे रसायन और लैब उपकरण बरामद किए गए। ये रसायन दिल्ली से मंगवाए गए थे और इन्हें स्कूल लैब या खुले बाजार में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
  • उत्पादन: NCB के अनुसार, पिछले ढाई महीनों में दोनों ने लगभग 5 किलोग्राम मेफेड्रोन बनाया, जिसकी बाजार में कीमत 15 करोड़ रुपये है। इसमें से 4 किलोग्राम से अधिक ड्रग्स, मुख्य रूप से स्थानीय युवाओं को, बेचा जा चुका है।

‘ब्रेकिंग बैड’ से प्रेरणा

  • दोनों शिक्षकों ने पिछले साल ‘ब्रेकिंग बैड’ सीरीज देखी और स्थानीय बाजार में उपलब्ध औद्योगिक रसायनों के साथ प्रयोग शुरू किया।
  • वे पहले से ही हेरोइन की तस्करी में शामिल थे, लेकिन सीरीज से प्रेरित होकर उन्होंने मेफेड्रोन बनाने का फैसला किया।
  • वे सप्ताहांत में, मुख्य रूप से शनिवार और रविवार को, इस फ्लैट में ड्रग्स बनाते थे। इस हफ्ते उन्होंने सोमवार को भी छुट्टी ली थी ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके।

प्रेरणा और आर्थिक स्थिति

  • NCB के अनुसार, दोनों शिक्षक कर्ज में थे और इसे चुकाने के लिए ड्रग्स बनाने का रास्ता चुना।
  • उन्होंने ड्रग्स को एक मध्यस्थ के माध्यम से बेचा, जिसकी पहचान के लिए जांच चल रही है।

सामाजिक प्रभाव और प्रतिक्रिया

  • स्थानीय समुदाय में सदमा: मनोज भार्गव को स्कूल में एक समर्पित शिक्षक माना जाता था। उनके स्कूल की प्रिंसिपल किरण छाबड़ा ने कहा, “मैं अभी भी सदमे में हूं। मनोज 2022 से हमारे स्कूल में थे और कभी गलत व्यवहार नहीं किया।”
  • NCB की कार्रवाई: NCB के क्षेत्रीय निदेशक घनश्याम सोनी ने कहा कि यह लैब ढाई महीने से चल रही थी और दोनों ने अपनी वैज्ञानिक जानकारी का इस्तेमाल ड्रग्स बनाने में किया। NCB ने हाल ही में ऐसी अवैध इकाइयों की पहचान के लिए “रेड फ्लैग इंडिकेटर्स” राज्यों की पुलिस के साथ साझा किए हैं।

कानूनी स्थिति

  • दोनों शिक्षकों को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है।
  • जांच जारी है ताकि इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जा सके।

निष्कर्ष: यह मामला ‘ब्रेकिंग बैड’ की कहानी से मिलता-जुलता है, जहां वैज्ञानिक ज्ञान का दुरुपयोग अवैध गतिविधियों के लिए किया गया। यह घटना न केवल स्थानीय समुदाय के लिए चौंकाने वाली है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे नशे की बढ़ती मांग युवाओं को गलत रास्ते पर ले जा सकती है।

स्रोत: यह जानकारी हिंदुस्तान टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, और NDTV जैसे समाचार स्रोतों से संकलित की गई है।

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