भारत ने तकनीकी विनिर्माण (tech manufacturing) को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीतियों में बदलाव करने का फैसला किया है, जिसमें चीन के साथ व्यापारिक नाकाबंदी पर पुनर्विचार शामिल है। यह कदम भारत को वैश्विक तकनीकी आपूर्ति श्रृंखला में एक मजबूत खिलाड़ी बनाने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
- पृष्ठभूमि: भारत और चीन के बीच 2020 के सीमा विवाद के बाद, भारत ने चीनी ऐप्स और निवेश पर कई प्रतिबंध लगाए थे। हालांकि, अब भारत सरकार यह समझ रही है कि तकनीकी क्षेत्र में प्रगति के लिए कुछ रणनीतिक समायोजन आवश्यक हैं।
- रणनीति: भारत ने हाल ही में लद्दाख के देपसांग मैदानों और डेमचोक में पारस्परिक गश्त के अधिकारों को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई है, जो दोनों देशों के बीच तनाव कम करने का संकेत है। यह व्यापार और तकनीकी सहयोग के लिए नए अवसर खोल सकता है।
- लक्ष्य: भारत का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर, और 5G उपकरणों के विनिर्माण में अपनी क्षमता बढ़ाना है। सरकार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं (PLI schemes) को और मजबूत कर रही है।
- चुनौतियां: चीन से आयात पर निर्भरता कम करना आसान नहीं है, क्योंकि कई महत्वपूर्ण घटक अभी भी चीन से आते हैं। साथ ही, वैश्विक व्यापार में ट्रम्प प्रशासन की नीतियों का प्रभाव भी भारत के सामने चुनौती पेश कर सकता है।
- आगे की राह: विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को तकनीकी नवाचार और स्थानीय उत्पादन पर ध्यान देना होगा, साथ ही वैश्विक साझेदारों जैसे अमेरिका और जापान के साथ सहयोग बढ़ाना होगा।