जापान और इंडोनेशिया के साथ अमेरिकी व्यापार समझौते भारत के लिए सबक

अमेरिका के जापान और इंडोनेशिया के साथ हाल के व्यापार समझौतों में भारत के लिए महत्वपूर्ण सबक और चेतावनियां हैं, विशेषज्ञों के अनुसार। ये समझौते, जो 22 जुलाई 2025 को घोषित किए गए, भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते के लिए निहितार्थ रखते हैं। नीचे इन समझौतों का विवरण और भारत के लिए उनके प्रभाव हिंदी में दिए गए हैं:

जापान के साथ अमेरिका का व्यापार समझौता

  • विवरण: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जापान के साथ एक “विशाल समझौते” की घोषणा की, जिसमें जापान ने अमेरिकी आयात के लिए कई क्षेत्रों, जैसे ऑटोमोबाइल, ट्रक और कृषि उत्पादों, को खोलने पर सहमति जताई। जापान विश्व व्यापार संगठन (WTO) के न्यूनतम पहुंच ढांचे के तहत हर साल लगभग 7,70,000 मेट्रिक टन टैरिफ-मुक्त चावल आयात करता है, जिसमें से पिछले वित्तीय वर्ष में अमेरिका का हिस्सा 45% था। इस समझौते से यह हिस्सा बढ़ सकता है।
  • भारत के लिए सबक: विशेषज्ञों का कहना है कि जापान का यह समझौता भारत को यह दर्शाता है कि अमेरिका अपने व्यापार घाटे को कम करने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रहा है। भारत को अपनी रणनीति सावधानी से तैयार करनी होगी, क्योंकि अमेरिका भारत से कृषि क्षेत्र, विशेष रूप से डेयरी, में रियायतें मांग सकता है, जो भारत में 80 मिलियन से अधिक छोटे किसानों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • चेतावनी: जापान ने अमेरिका के दबाव में कुछ रियायतें दीं, लेकिन उसने अपने हितों की रक्षा के लिए सख्त रुख भी अपनाया। भारत को भी ऐसा ही संतुलन बनाना होगा, ताकि वह अमेरिका के साथ समझौते में अपने प्रमुख क्षेत्रों, जैसे कृषि और डेयरी, की रक्षा कर सके।

इंडोनेशिया के साथ अमेरिका का व्यापार समझौता

  • विवरण: इंडोनेशिया के साथ समझौते में अमेरिकी निर्यात पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा, जबकि इंडोनेशिया के आयात पर 19% टैरिफ लगेगा। इंडोनेशिया ने अमेरिका से 3.2 बिलियन डॉलर के विमान, 4.5 बिलियन डॉलर के कृषि उत्पाद (सोयाबीन, गेहूं, कपास) और 15 बिलियन डॉलर के ऊर्जा उत्पाद (एलपीजी, कच्चा तेल, गैसोलीन) खरीदने का वादा किया है।
  • भारत के लिए सबक: ट्रम्प ने कहा कि भारत भी इंडोनेशिया जैसे समझौते की दिशा में काम कर रहा है, जिसका मतलब है कि अमेरिका भारत के बाजारों में अधिक पहुंच चाहता है। भारत को यह समझना होगा कि अमेरिका एकतरफा लाभकारी समझौतों पर जोर दे सकता है, जहां भारत को टैरिफ में रियायतें देनी पड़ सकती हैं।
  • चेतावनी: इंडोनेशिया का समझौता भारत के लिए एक चेतावनी है कि अमेरिका अपने व्यापार घाटे को कम करने के लिए उच्च टैरिफ (जैसे भारत के लिए 26%) का दबाव बना सकता है। भारत को अपनी रणनीति में लचीलापन और सख्ती दोनों दिखानी होगी, विशेष रूप से कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में।

भारत के लिए विशेषज्ञों की सलाह

  • सावधानी और चतुराई: रघुराम राजन जैसे विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में सावधानी और चतुराई बरतनी चाहिए।
  • कृषि क्षेत्र की रक्षा: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में कृषि एक प्रमुख बाधा रही है। भारत ने डेयरी क्षेत्र में रियायतें देने से इनकार कर दिया है, जो छोटे किसानों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • समयबद्ध दबाव: ट्रम्प ने 1 अगस्त 2025 की समय सीमा तय की है, जिसके बाद भारत को 26% तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है। भारत को इस समय सीमा से पहले अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट करनी होंगी।
  • चीन के साथ संबंधों का प्रभाव: भारत को रूस से तेल खरीदने के कारण 100% माध्यमिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है, जो व्यापार वार्ता को जटिल बना सकता है।

 

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