वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को अपने बजट भाषण में बिहार में मखाना बोर्ड बनाने का प्रस्ताव रखा। यह बोर्ड राज्य के प्रमुख मखाना उद्योग को समर्थन देगा। इसी बीच, अरबपति निखिल कामत की एक पुरानी टिप्पणी सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने एक विस्तृत पोस्ट साझा की थी, जिसमें बताया गया था कि भारत का यह पोषक तत्वों से भरपूर सुपरफूड भविष्य में ₹6,000 करोड़ का उद्योग बन सकता है।
17 जनवरी को ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामत ने लिखा, “शायद यहां एक बड़े भारतीय ब्रांड के लिए जगह हो सकती है, जो दुनियाभर में मखाना बेच सके। व्यक्तिगत रूप से, मैं मखाने का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं।” उन्होंने कुछ ग्राफिक्स भी साझा किए, जिसमें दिखाया गया कि मखाना क्यों एक सुपरफूड है और यह वैश्विक स्तर पर कैसे एक बड़ा उद्योग बन सकता है।
इसके अलावा, उन्होंने मखाना किसानों द्वारा झेली जा रही समस्याओं को भी उजागर किया। उन्होंने लिखा, “मखाना कोई बहुत अधिक उपज देने वाली फसल नहीं है। पहले कांटेदार पत्तों और कीचड़ भरे तालाबों में उतरकर बीज इकट्ठा करने पड़ते हैं, फिर उन्हें सुखाकर उच्च तापमान पर हाथ से फोड़ना पड़ता है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पूरी प्रक्रिया में काफी फसल बर्बाद हो जाती है। “इनमें से केवल 2% फूले हुए बीज ही निर्यात योग्य होते हैं, जबकि कुल बीजों का केवल 40% ही खाने योग्य होता है।”
उन्होंने यह भी बताया कि “जो व्यवसाय पहले सिर्फ बिहार तक सीमित था, वह अब असम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा जैसे राज्यों में भी फैल चुका है।”
निर्मला सीतारमण का मखाना बोर्ड पर बयान:
“बढ़ती आय के साथ फलों की खपत भी बढ़ रही है, जिससे किसानों को भी अधिक लाभ मिलेगा। राज्यों के सहयोग से इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाएगा। बिहार में मखाना उत्पादन की विशेष संभावना है, इसलिए वहां मखाना बोर्ड स्थापित किया जाएगा। यह बोर्ड मखाना किसानों को प्रशिक्षण और समर्थन प्रदान करेगा,” वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा। उन्होंने यह भी घोषणा की कि “उच्च उपज वाले बीजों पर एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया जाएगा।”